दिल जब जल रहा था
आँखो से बरस पड़ा था सावन उसके

कौन किसी के दुःख का साथी
अपने आंसू अपना दामन

दिल से बेहतर तो रावण है
साल में एक ही दिन जलता

माना की बुरा हु
लेकिन इतना भी नहीं की याद भी न आउ

दिल गिरवी है उस के पास
मोहब्बत क़र्ज़ ली थी जिस से..

कुछ तो बेवफाई मुझमें भी है...
जिंदा हूँ तेरे बगैर...!!

जिन्दगी में सब कुछ करो.
किसीका विश्वास मत तोड़ो.

दोस्तो मुझे मुहब्बत हो गयी है
मैं बच तो जाउंगा ना

मरने का मज़ा तो तब है
जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये

कुछ तो संभाल कर रखते
देखो मुझे भी खो दिया तुमने
Er kasz

दर्द को इकट्ठा किया है मैंने
मुस्करा कर जीते जीते

ज़हन में अब भी साँस लेता है
कौन कहता है गुज़र गया है वो

साफ साफ बोलने बाला कड़वा जरुर होता है
पर धोखेबाज नही

कुछ बेवफाई तो मुझमे भी है
जिन्दा हूँ तेरे बगैर अबतक

ऐसे जख्मों का क्या करे कोई
जिन्हें मरहम से आग लग जाए