इन कागजो पर लिखे अल्फाज भी ढेर हो जाएँ
जो मै एक गजल अपने लबों से तेरे गाल पर लिख दूँ

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की
हर आँख मेरी तरह मुहोब्बत की नही होती

मत करवाना इश्क ए दस्तूर हर किसी को ए ख़ुदा.
हर किसी में जीते जी मरने की ताक़त नहीं होती...

एक वो हैं जो हमारी बात समझते नहीं
और यहाँ जमाना हमारे शेर पढ़कर दीवाना हुआ जा रहा है

बाग में टहलते हुये एक दिन जब वो बेनकाब हो गए
जितने पेड़ थे बबूल के सब के सब गुलाब हो गए

तेरी ख्वाहिश कर ली तो कौन सा गुनाह किया
लोग तो इबादत में पूरी क़ायनात मांगते हैं खुदा से

एक तुम एक तुम्हारी आँखें और एक मेरी मोहब्बत
इनमें से कोई एक तो है जो मुझे मरने नहीं देती

जब हम निभाते है तो कुछ इस तरह निभाते है मुहब्बत
साँस लेना छोड़ सकते है मगर दामन ऐ यार नहीं

तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों या फ़रेब मेरी आँखों का,
न दिल से निकलते हो न मेरी ज़िन्दगी में आते हो

सहा जाता नहीं हमसे,कि किसी और का ताल्लुक भी हो तुम से
हवा से भी कह दो कि तेरे पास से हट कर गुजरे...

सजा बन जाती है गुज़रे हुए वक्त की यादें,
न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए जिंदगी में आ जाते हैं लोग..!!

बस इतना बता दो कैसे साबित करू के तुम याद आते हो
शायरी तुम्हे समझ नहीं आती और अदाए मुझे आती नही

हमें तो उसकी आवाज़ ने ही दिवाना बना दिया था दोस्तो
खुदगर्ज़ है वो लोग जो चेहरा देख के प्यार करते है

नसीब के आगे किसी की नही चलती
लेकिन इतना याद रखना बाहो में चाहे कोई भी आये
महसूस वही होगा जो रूह में समाया होगा

Tum Tum Or Bas tum
Lo khatm Ho gai Meri Dastan