हाल तो पुंछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी..
ज़ब ज़ब सुनी हें कमबख्त मोहब्बत ही हुई हें...

कहाँ कहाँ नहीं खोजा तुने एक कतरा सच्ची महोब्बत का
मेरी आँखो में बस ज़रा सा झाँक लेते

मदहोश होता हूँ तो दुनियाँ को बुरा लगता हूँ
होश रहता है तो दुनियाँ मुझको बुरी लगती है

जहर के असरदार होने से कुछ नही होता दोस्त।
खुदा भी राजी होना चाहिए मौत देने के लिये।।

कुछ लोग मेरी शायरी से सीते हैं अपने जख्म
कुछ लोगों को मैं चुभता हूँ सुई की नोक के जैसे

गरूर तो नहीं करता लेकिन इतना यक़ीन ज़रूर है
कि अगर याद नहीं करोगे तो भुला भी नहीं सकोगे

सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं...
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता....er kasz

यहाँ पर लोग जितने हैं मुझे पागल समझते हैं
शबब जानो तो इतना हैं,मैं खुद से बात करता हूँ

मोहब्बत करने वाले ना तो जीते है ना ही मरते है
फूलो की चाह में वो काँटों पर से गुजरते है

बिछड़ के वो रोज मिलती है मुझ से ख्वाब में दोस्तों
अगर ये नींद ना होती तो में मर गया होता

खो जाआे मुझ में तो मालूम हो कि दर्द क्या है
ये वो किस्सा है दो ज़ुबान से बयां नहीं होता

आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग

मिला कर खाक में मुझ को वो कुछ इस अदा से बोला
खिलौना था ये मिट्टी का कहा रखने के काबिल था

सिर्फ एक बार चूमा था उसके होंठो को
लोगो ने बस्ती से निकाल दिया शराब पीने के इल्जाम मे..!

खामोशियाँ कर दें बयाँ तो अलग बात है..
कुछ दर्द ऐसे भी हैं जो लफ़्ज़ों मेँ उतारे नहीं जाते..