उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा था अलविदा
आज भी वही खड़ा है दिल उसके आने के इंतज़ार में
उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा था अलविदा
आज भी वही खड़ा है दिल उसके आने के इंतज़ार में
अजब तमाशा है मिट्टी से बने लोगों का
बेवफ़ाई करो तो रोते हैं अगर वफ़ा करो तो रुलाते हैं...
अजीब मजाक करती हैं यह नौकरी काम मजदूरों वाले कराती हैं
और लोग साहब कहकर बुलाते हैं
Er kasz
इतनी हिम्मत नहीं है कि हाल-ए-दिल सुना सकूँ.....
जिसके लिए उदास हूँ वो महसूस करले तो काफी है.....
ये कलयुग है कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें
कली फल फूल पेड़ पौधे सब माली बेच देता है
er kasz
कल घर से निकले थे, माँ के हाथो के बने पराठे खा कर...
आज सड़क किनारे चाय तलाश रही है जिंदगी...!! Er kasz
चलो कुछ दिनों के लिए दुनिया छोड़ देते हैं,
सुना है लोग बहुत याद करते हैं चले जाने के बाद...!
जब बिखरेगा तेरे रूखसार पर तेरी आँखों का पानी
तुझे एहसास तब होगा मोहब्बत किस को कहते है
ए इश्क़ तुझसे दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नही मानोगे..
बहुत चैन के दिन थे तेरी पहचान से पहले..
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मुहोब्बत का
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं
er kasz
अभी कुछ और करना है इरादे रोज करता हूँ
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ इसी ख्वाहिश में मरता हूँ
चले आती है कमरे में दबे पाँव ही हर दफ़े
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं
जो दर्द तुम किश्तों-किश्तों में दे रहे हो
वोह आलम क्या होगा जब हम ब्याज़ सहित अदा करेंगे
आँखे भी पढ़ लेती हे मोहब्बत की हरकत को
हर बार शब्दों में प्यार बयान करना जरुरी नहीं होता
ये समन्दर भी तेरी तरह खुद्गर्ज निकला
जिन्दा था तो तैरने ना दिया मर गया तो डूबने ना दिया