मैं क्यों कहूँ उससे कि मुझसे बात करो
क्या उसे नहीं मालूम कि उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता
मैं क्यों कहूँ उससे कि मुझसे बात करो
क्या उसे नहीं मालूम कि उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता
ये नजर चुराने की आदत आज भी नहीं बदली उनकी
कभी मेरे लिए जमाने से और अब जमाने के लिए हमसे
er kasz
नही हैं शिकायत किसी से अपने आप से रूठी हु,
खुश हूँ लकिन "एक बात बताऊ"अंदर से बहुत टूटी हूँ.
मुझे उन आंखों मे कभी आंसु अच्छे नही लगते
जीन आंखों मे मै अकसर खुद के लिये प्यार देखता हुं
अक्सर शोर में नींद ना आने की शिकायत करते हैं लोग
एक हम हैं जिसे तेरी खामोशी सोने नही देती
इस कब्र में भी सुकूं की नींद नसीब नहीं हुई
रोज़ फरिश्ते आकर कहते हैं आज कोई नया शेर सुनाओ
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,
कभी बात करने की हसरत
कभी देखने की तमन्ना...❗❗
तेरी वफ़ा के खातिर ज़लील किया तेरे शहर के लोगों ने
इक तेरी कदर न होती तो तेरा शहर जला देते
वो काग़ज़ आज भी फूलों की तरह महकता है
जिस पर उसने मज़ाक़ से लिखा था मुझे तुमसे मोहब्बत है
बहुत बहुत बहुत रोयेगी उस दिन जीस दिन में याद आऊंगा के
था कोई पागल जो पागल था सिफॅ मेरे लिए
मेरे सारे जज्बात बस शायरी में सिमट के रह गए,
तुझे मालूम ही नही हम तुझसे क्या क्या कह गए.
er kasz!
मेरी ज़िन्दगी में एक ऐसा शक्श भी है यारो
जो मेरी पूरी ज़िन्दगी है और मै उसका एक लम्हा भी नही
☄एक बार भूल से ही कहा होता कि हम किसी और के
भी है
.
खुदा कसम हम तेरे साये से भी दूर रहते.. ☄ Er kasz
बड़ी बेरंग-सी हो गयी है जिन्दग़ी मेरी,
एक वक़्त था लोग मुझसे खुश रहने का राज़ पूछा करते थे !
याद आयेगी मेरी तो बीते कल को पलट लेना
यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराता हुआ मिल जाऊंगा
Er kasz