किसी शायर से कभी उसकी उदासी की वजह पूछना...
दर्द को इतनी ख़ुशी से सुनाएगा की प्यार हो जायेगा...

प्यार मोहब्बत आशिकी..
ये बस अल्फाज थे..
मगर.. जब तुम मिले..
तब इन अल्फाजो को मायने मिले !!
•• Er kasz

आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से
मगर वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी

मेने बस तुमसे बेइंतिहा मोहब्बत की है
ना तुम्हे पाने के बारे में सोचा ना ही खोने के बारे में

कभी न कभी वो मेरे बारे में सोंचेगी ज़रूर

के हासिल होने की उम्मीद भी नहीं फिर भी वफ़ा करता था

कौन कहता है के दिल सिर्फ लफ्ज़ो से दुखाया जाता है..
कभी-कभी ख़ामोशी भी तो बड़ी तकलीफ़ देती है...!!

कौन कहता है के दिल सिर्फ लफ्ज़ो से दुखाया जाता है..
कभी-कभी ख़ामोशी भी तो बड़ी तकलीफ़ देती है...!!

मेरे हिस्से में न आयेगी कभी दिलदार की खुशिया
कुछ सख्स फकत शायरी करने के लिए ही पैदा होते है

मेरे दिल ने अपनी वसीयत में लिखा है
मेरा कफन उसी दुकान से लाना जिससे वो अपना दुपटा खरीदती है

तन्हाइयो की क्या मजाल जो हमे बर्बाद करती
मुझे तो मेरी रूह ने उससे मोहब्बत कर सरे आम लूटा है

अगर मेरी चाहतो के मुताबिक जमाने में हर बात होती
तो बस मै होता वो होती और सारी रात बरसात होती

लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं
मै बरसों से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है

अब इस से भी बढ़कर गुनाह-ए-आशिकी क्या होगा
जब रिहाई का वक्त आया तो पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी

तुझसे मोहबत के लिए तेरी मौजूदगी की जरूरत नही,
ज़र्रे ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है...Er kasz

दोनों जानते हे के, हम नहीं एक-दूसरे के नसीब में
फिर भी मोहब्बत दिन-ब-दिन बे-पनाह होती जा रही है