कैसे कह दूँ तुमसे हमें मोहब्बत नहीं
मुंह से निकला झूठ एक दिन आँखों से पकड़ा जायेगा
कैसे कह दूँ तुमसे हमें मोहब्बत नहीं
मुंह से निकला झूठ एक दिन आँखों से पकड़ा जायेगा
फासलें तो बढ़ा रहे हो मगर ये याद रखना
मोहब्बत बार बार यूँ किसी पर मेहरबान नही होती
तेरी चाहत में तेरी मोहब्बत में तेरी जुदाई में
कोई हर रोज टूटता ह पर आवाज नहीं होती
मैं तुमसे अब दिल लगा तो बैठा हूं ......
अब ज़िन्दगी कट जाएगी मोहब्बत का इज़हार करने में !
साँसे चल रही हैं तो चल रहा हूँ मैं
वरना मेरी जिंदगी को रुके हुए तो ज़माने गुज़र गये
तुम एक महँगा खिलौना हो और मै एक गरीब का बच्चा
मेरी हसरत ही रहेगी तुझे अपना बनाने की
चलो ये भी अच्छा हुआ हम उन्हें हासिल ना कर सके
अगर वो मेरा होके बिछडता तो कयामत होती
मिलने को यूँ तो हमसे मिले है हजारो
वो शख्स जो सीधा दिल में उतर गया उसका हुनर कमाल था
हँस कर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर है मेरी
पर कोई हुनर काम न आता जब उनका नाम आता है
बदनसीब मैं हूँ या तू हैं ये तो वक़्त ही बतायेगा..
बस इतना कहता हूँ अब कभी लौट कर मत आना....
इश्क करते है तुमसे इसलिए खामोश है अबतक,
खुदा न करे मेरे लब खुले और तुम बर्बाद हो जाओ.
जितनी शिद्दत से मुझे ज़ख़्म दिए हैं उस ने
उतनी शिद्दत से तो मैंने उसे चाहा भी नहीं था..
मुझे तो पहले से ही मैगी पर शक था
एक तो फीमेल औऱ दो मिनट में तैयार कुछ गड़बड़ ज़रूर है
मिला क्या हमें सारी उम्र मोहब्बत करके,..
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बस एक शायरी का हुनर, एक रातों का जागना.. Er kasz
हो गयी हो कोई भूल तो दिल से माफ कर देना..
सुना है सोने के बाद हर किसी की सुबह नहीं होती...!!