रूठा अगर मैं तुझसे तो इसतरह से रूठुंगा
कि तेरे शहर की मिट्टी भी मेरे वज़ूद को तरसेगी
रूठा अगर मैं तुझसे तो इसतरह से रूठुंगा
कि तेरे शहर की मिट्टी भी मेरे वज़ूद को तरसेगी
खामोशियाँ कर दे बयां तो अलग बात हैं
कुछ दर्द ऐसे भी हैं जो लफ्जों में उतारे नही जाते
टकरा जाता हूँ अक्सर मैं तेरे साये से
तुम दिखते जब नही हो तो महसूस क्यों होते हो मुझे
इक पल ही काफ़ी है गर उसमें तुम शामिल हो जाओ
इससे ज्यादा जिंदगी की मुझे जरूरत भी नहीं
उस्ताद ए इश्क सच कहा तूने बहुत नालायक हूँ मै
मुद्दत से इक शख्स को अपना बनाना नही आया
मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ
तुम तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे
* बस एक यही बात उसकी मुझे अच्छी लगती है
उदास कर के भी कहती है
तुम नाराज़ तो नहीं हो ना
सितारे ये ख़बर लाए कि अब वो भी परेशाँ हैं
सुना है उनको नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
हम तो सोचते थे कि लफ्ज ही चोट करते है
पर कुछ खामोशियो के जख्म तो और भी गहरे निकले
चाहत हो तुम ना खफा हो मेरी ज़िन्दगी मुझसे
खता मेरी इतनी है की दिलो जान से चाहा है तुझे
बड़ी शिद्द्त से राजी हुए है वो साथ चलने को ...
खुदा करे के मुझे सारी जिंदगी मंजिल न मिले....
यादो में बसा रखा है तेरा प्यार इस कदर मेरी जान
कोई वक़्त भी पूछ ले तो तेरा नाम बताते है
न जाने क्यूँ ये रात उदास कर देती है हर रोज
महसूस होता है जैसे भूल रहा है कोई धीरे धीरे
भूल सकते हो तो भूल जाओ इजाजत है तुम्हे
ना भूल पाओ तो लोट आना इक भूल की इजाजत है तुम्हे
काश कही से मिल जाते वो अलफाज हमे भी
जो तुझे बता सकते की हम शायर कम तेरे आशिक ज्यादा है