"पास मेरे अल्फ़ाज़ों की कोई कमी नही हैं !
पर क्या करूँ फितरत ही जरा खामोश सी हो गयी हैं !!"

न पूरी तरह से क़ाबिल न पूरी तरह से पूरा हूँ
तेरे एक दूर रहने से, देख मैं कितना अधूरा हूँ

रिश्ता दिल से होना चाहिए शब्दों से नहीं
नाराजगी शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं

कभी सोचा भी ना था के वो भी मुझे तनहा कर जाएगा.
जो अक्सर परेशान देख के कहता था मैं हूँ ना

बुलंदी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र रखो
परिंदे बताते हैं, आसमान में ठिकाने नहीं होते
er kasz

मदहोश होता हूँ तो दुनियाँ को बुरा लगता हूँ
होश रहता है तो दुनियाँ मुझको बुरी लगती है

एक तेरी ख़ामोशी जला देती है इस पागल दिल को
बाकी तो सब बातें अच्छी हैं तेरी तस्वीर में

मोहब्बत उस से नहीं की जाती जो खूबसूरत हो
खूबसूरत वो होता है जिस से मोहब्बत हो जाती है

हौसला उसमें भी ना था यूँ मुझसे जुदा होने का
वरना काजल उसकी आँखों में यूँ फैला ना होता

आना हैं मौत तुझे तो दिन के उज़ाले में आना
रातें और ख़्वाब किसी बेवफ़ा के नाम कर रखे मैंने

कुछ लोग मेरी शायरी से सीते हैं अपने जख्म
कुछ लोगों को मैं चुभता हूँ सुई की नोक के जैसे

मेरे सारे जज्बात बस शायरी में सिमट के रह गए
तुझे मालूम ही नही हम तुझसे क्या क्या कह गए

आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग

एक ज़ख्म ही नही, यहाँ तो सारा वजूद ही ज़ख्मी है
दर्द भी हैरान है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ

सिर्फ एक बार चूमा था उसके होंठो को
लोगो ने बस्ती से निकाल दिया शराब पीने के इल्जाम मे..!