खामोशियाँ कर दें बयाँ तो अलग बात है..
कुछ दर्द ऐसे भी हैं जो लफ़्ज़ों मेँ उतारे नहीं जाते..

रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया
er kasz

फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क़ मुकम्मल
इंसानो को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है

अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आंसू
अभी छेड़ी कहाँ है दास्ताने जिन्दगी मैंने

जब भी देखता हुं हसते खिलखिलाते चेह्ररे लोगों के
दुआ करता हुं इन्हे कभी मोहब्बत ना हो

गरूर तो नहीं करता लेकिन इतना यक़ीन ज़रूर है..
कि अगर याद नहीं करोगे तो भुला भी नहीं सकोगे.!!!

बस यही सोचकर छोड दी हमने जिद्द मोहब्बत की
अश्क उनके बहे या मेरे रोयेंगी तो मोहब्बत ही

राह देखते देखते जब थक जाती हैं आँखें मेरी
तुम्हें ढूँढने को तब मेरी आँख से आँसू निकले

हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन अभी
तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को

पागल नहीं थे हम जो तेरी हर बात मानते थे,
बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नही लगता था..!!

मुझे तेरे काफ़िले मेँ चलने का कोई शौक नहीँ
मगर तेरे साथ कोई और चले मुझे अच्छा नहीँ लगता

तुझे मालूम भी है कितना तलबगार हूँ तेरा
पुछ उन फ़रिश्तों से जो रोज़ लीखते है दुअा मेरी

हाल तो पुछ लु तेरा, पर डरता हुँ आवाज़ से तेरी
जब जब सुनी है कमबख़्त मोहब्बत ही हुई है
Er kasz

उम्र गुज़र गई उससे बिछड़े अब मुझे ज़माना हो गया है
मेरा ग़म भी बढ़ते बढ़ते और सुहाना हो गया है

तलाश कर लो मेरी कमियों को अपने ही दिल में एक बार
दर्द हो तो समझ लेना मोहब्बत अभी बाकि है