सबक इस ज़िन्दगी में बस इतना ही मिला है
धोखा बस वो ही नहीं देते जिन्हें हम मौका नहीं देते

फिर मोहब्बत करनी है मुझसे तो शुरुवात वहीँ से कर
जिस जगह से तूने मुझे बड़ी नफरत से देखा था

ना जाने क्यो दिन निकलते ही उदास हो जाता हुँ
महसूस होता है कि कोई भूल रहा है हमे धीरे-धीरे

उन पर बीतेगी तो वो भी जान जायेंगे ऐ दोस्त
जब कोई नजर अदांज करता हैं तो कितना दर्द होता है

जब हम निभाते है तो कुछ इस तरह निभाते है मुहब्बत
साँस लेना छोड़ सकते है मगर दामन ऐ यार नहीं

चूम लेती है लटक कर कभी चेहरा तो कभी लब..!
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तुमने अपनी जुल्फों को बहोत सिर पे चढ़ा रखा हे !Er kasz

चन्द लम्हें जो गुज़ार आया हूँ अंजानो के साथ
दिल नहीं लगता मेरा अब जाने पहचानों के साथ
er kasz

नही हो सकती अब ये मोहब्बत तेरे सिवा किसी और से,
बस इतनी सी बात है और तुम हो के समझते ही नहीं

गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ
er kasz

हंसी आती ये सोचकर कि दर्द कोई समझता नही
मगर उन्हीं दर्दनाक अल्फ़ाज़ो पर दाद देते है लोग

जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा मुझसे ओ पागल
अपनी ज़िंदगी जी लेना वैसे प्यार अच्छा करते हो

हजारों चेहरों में एक तुम ही पर मर मिटे थे..
वरना..
ना चाहतों की कमी थी और ना चाहने वालों की..!

कौन खरीदेगा अब हीरो के दाम में तुम्हारे आँसु
वो जो दर्द का सौदागर था मोहब्बत छोड़ दी उसने

तू आज़मा के देख तो सही अपने दीवाने को
मैं दुनिया छोड़ दूंगा तुम्हे अपने करीब लाने के लिए

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले