कौन कहता है के दिल सिर्फ लफ्ज़ो से दुखाया जाता है..
कभी-कभी ख़ामोशी भी तो बड़ी तकलीफ़ देती है...!!

मेरे दिल ने अपनी वसीयत में लिखा है
मेरा कफन उसी दुकान से लाना जिससे वो अपना दुपटा खरीदती है

अगर मेरी चाहतो के मुताबिक जमाने में हर बात होती
तो बस मै होता वो होती और सारी रात बरसात होती

तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन
जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा

अब इस से भी बढ़कर गुनाह-ए-आशिकी क्या होगा
जब रिहाई का वक्त आया तो पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी

तुझसे मोहबत के लिए तेरी मौजूदगी की जरूरत नही,
ज़र्रे ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है...Er kasz

तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों या फ़रेब मेरी आँखों का,
न दिल से निकलते हो न मेरी ज़िन्दगी में आते हो

अब इस से भी बढ़कर गुनाह ए आशिकी क्या होगा
जब रिहाई का वक्त आया तो पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी

लड़की उसको प्यार करती हैं, जो उसको छोड़ देता है.
और उसको छोड़ देती हैं जो उनको प्यार करता हैं.

तुम मेरी बातों का जवाब नहीं देते तो कोई बात नहीं
मेरी क़ब्र पर जब आओगे तो हम भी ऐसा ही करेंगे..

इश्क की रुसवाई किसे पसंद है
तेरी याद में खोया रहता हू
वरना पागलों की तरह रहना किसे पसंद है

मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये ज़माना बोला कि
तेरी संज़ीदगी बताती है तुझे हँसने का शौक़ था कभी

सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके
अफसोस की मेरा कोई नहीं जो मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो
Er kasz

सूरत नहीं देखी तेरी अरसे से बस वो आखिरी बार का मुस्कुरा के मिलना
आज भी जीने की वजह है मेरी
Er kasz

सजा बन जाती है गुज़रे हुए वक्त की यादें,
न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए जिंदगी में आ जाते हैं लोग..!!