क्या जरूरत है मुझे परफ्यूम लगाने की,
तेरा ख्याल ही काफी है मुझे महकाने के लिए।💞💞 Er kasz
क्या जरूरत है मुझे परफ्यूम लगाने की,
तेरा ख्याल ही काफी है मुझे महकाने के लिए।💞💞 Er kasz
मालूम नहीं क्यूँ मगर कभी कभी
अल्फाजों से ज्यादा मुझे तेरा नाम लिखना अच्छा लगता है
ये जरुरी नही कि, तुम मेरी हर बात को समझो...
बस इतनी सी तमन्ना है कि तुम मुझे, अपना समझो ...Er kasz
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती
Er kasz
मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है
बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है
Er kasz
अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला दिल का…
सुकून ढूंढने निकले थे, नींदे भी गँवा बैठे…!!!
जिसे भी देखा उसे रोता हुए ही पाया..
मुझे तो ये मोहब्बत किसी फ़क़ीर की बद्दुआ लगती है !!
इरादा कत्ल का था तो मेरा सर कलम कर देते
क्यू इश्क मे डाल कर तुने हर साँस पर मौत लिख दी
किस तरह खत्म करें उन से रिश्ता
जिन्हें सिर्फ सोचते हैं तो पूरी कायनात भूल जाते हैं
बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में
दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़
मत करवाना इश्क ए दस्तूर हर किसी को ए ख़ुदा.
हर किसी में जीते जी मरने की ताक़त नहीं होती...
अधूरेपन का मसला ज़िंदगी भर हल नहीं होता
कहीं आँखें नहीं होतीं, कहीं काजल नहीं होता
इक आग का दरिया हैं मोजों की रवानी हैं
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं.. तेरी मेरी कहानी हैं
er kasz
जो तुम बोलो बिखर जाएँ जो तुम चाहो संवर जायें
मगर यूँ टूटना जुड़ना बहुत तकलीफ देता है
मानना पड़ेगा मेरी वाली छुपन छुपाई में माहिर है
बरसों से ढूंढ रहा हु अभी तक नही मिली