हर वक़्त रुलाता है हद से ज़्यादा वो
हम सपने में भी जिसको रोने नहीं देते

हो जाऊं तेरे इश्क़ में मशग़ूल इस क़दर
कि होश भी वापस आने की इज़ाज़त मांगे...!! Er kasz

अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ मांगी जीने की सज़ा पाई

दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क़ आँखों ने पिये और न बहाए होंगे

आखोँ में तेरे सपने होठों पे तेरी बात
ऐ दिन तो कट जाता है गुजरती नहीं रात✍ Er kasz

मेरे सब्र का इंतेहा क्या पूछते हो.
वो मुझ से लिपट कर रोई भी तो किसी और के लिए.

रात गुज़री है तेरी यादों के साये में..
सुबह से तेरे ख़्वाबों में उलझा हूँ..!! Er kasz

एहसास ए मुहब्बत के लिए बस इतना ही काफी है
तेरे बगैर भी हम तेरे ही रहते है
Er kasz

वोह भी रो पड़े शायद वीरान कागज़ देख कर
मैंने उसको आखरी खत में लिखा कुछ भी नहीं

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला...
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले.... Er kasz

वो चाहते है जी भर के प्यार करना
हम सोचते है वो प्यार ही क्या जिससे जी भर जाये..

जितना रूँठना है रूँठ ले पगली..!!
जिस दिन हम रूँठ गए उस दिन तू जीना ही भूल जाएगी...!!!

रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने..
पर इश्क मे पागल थे आंसू खुदखुशी करते रहे!!

कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्ते……
हर कदम पर काँच बन कर जख्म देते है..