समझदार व्यक्ति वह नहीं जो ईट का जवाब पत्थर से दे
समझदार व्यक्ति वो हैं जो फेंकी हुई ईट से अपना आशियाना बना ले

वाकिफ़ हु बहुत खूब इस दुनिया की फितरत से
बहुत चाहते हे लोग मगर एक जरुरत की हद तक

“अपना मजहब उंचा और औरों का ओछा
ये सोच हमें इन्सान बनने नहीं देती

वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो हमें पा ना सकी
वरना जीत की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे

वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया
और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर

उड़ने में बुराई नहीं है, आप भी उड़ें
लेकिन उतना ही जहाँ से जमीन साफ़ दिखाई देती हो

हर जगह मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे हैं लेकिन
ईश्वर तो उसी का है जो सर झुकाना जानता है

जिस दिन आपने अपनी सोच बड़ी कर ली साहेब,
बड़े बड़े लोग आपके बारे मे सोचना शुरू कर देंगे.

नाम कमाना पड़ता है
खैरात में बदनामी मिलती है

मंजिले कितनी भी ऊँची हो
पर रास्ते हमेशा पैरो के नीचे होते है

मत फेक बिछी हुई हरी चादर पर सिक्के ए दोस्त ,किसी दिन बम बनकर तेरे ऊपर ही बरसेगे ।

ताज्जुब न कीजियेगा अगर कोई दुश्मन भी आपकी खैरियत पूँछ जाये
ये वो दौर है जहाँ हर मुलाक़ात में मक़सद छुपे होते हैं

आदत नहीं हमे पीठ पीछे वार करने की
दो शब्द कम बोलते हैं ,पर सामने बोलते हैं

आजकल लोग समझते कम समझाते ज्यादा हैं
तभी तो मामले सुलझते कम उलझते ज्यादा हैं

कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे खत्म हो कि
लोग रोने लगे तालियाँ बजाते-बजाते