है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको..!
है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको..!
किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया
बोझ शरीर का नही साँसों का था
हमेशा मंदिर-ओ-मस्जिद में वो नही रहता
सुना है बच्चों में छुप के वो खेलता भी है
जिंदगी में पीछे देखोगे तो अनुभव मिलेगा
जिंदगी में आगे देखोगे तो आशा मिलेगीै
जरा सी अपनी सांसे क्या भरी हमने गुब्बारे में
वो अपनी औकात ही भूल गया और उड़ने लगा
गुजर जायेगा ये दोर भी ज़रा सा इतमिनान तो रख
जब खुशिया ही नही ठहरी तो गम की क्या औकात है
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते हैं
जाते हुए उस शख़्स ने एक अज़ब बद्दुआ सी दी
तुझे मिले दो जहाँ की ख़ुशियाँ पर कोई मुझ सा न मिले
में खुद ही मेरा रहनुमा हु और किसी से आस नही
कर्म करता हु करता रहूँगा इसका तोड़ किसी के पास नही
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो मे
उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है
झूट बोलते है वो लोग जो बोलते है की हम सब लोग मिटटी के बने हुए है
मेने अपने ही कही लोगो को देखा है पत्थर बने हुए......
एक मूर्ति बेचने वाले गरीब कलाकार के लिए किसी ने क्या खूब लिखा है
गरीबो के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में
अगर तू KiLLer हैं तो
मैं भी LØVeR हूँ प्यार से ठोक दुंन्गा
सीना चाहे कितने भी इंच का क्यो न हो
बिना कलेजे के बेकार होता है |