कुछ ऐसा करो कि काम दोनो का चलता रहे
आन्धिया भी चलती रहे और दीया भी जलता रहे
कुछ ऐसा करो कि काम दोनो का चलता रहे
आन्धिया भी चलती रहे और दीया भी जलता रहे
इतनी बदसलूकी ना कर ऐ जिंदगी हम कौन सा यहाँ बार बार आने वाले है !!
आदमी कितना भी माउंटेन ड्यू पी ले पर जब डर लगता है
तो हनुमान चालीसा ही याद आती है
पाँव सूखे हुए पत्तों पर अदब से रखना
धूप में माँगी थी तुमने पनाह इनसे कभी
पता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँ क्योंकि
मैं खुद के सिवा किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता
मिट जायेगा, गुनाहों का तसव्वुर इस जहां से
अगर हो जाये यक़ीन कि खुदा देख रहा है..!
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो
और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमे ही उतारा गया
Rehene De Mujhe In Andheron Mein Kambhakt
Roshni Mein Apno Ke Asli Chehre Saamne Aa Jate Hain
क्या मंदिर क्या मस्जिद क्या गंगा की धार करे
वो घर ही मंदिर जैसा है जिसमे औलाद माँ बाप का सत्कार करे
जरूरी नही की हर समय लबो पर भगवान का नाम आये ।।
वो लम्हा भी भक्ती का होता है जब इन्सान इन्सान के काम आये
"Naseeb" jab bina "Maange" kuch deta hai,
Toh bina pooche "Cheen" bhi leta hai...!!!
करते वही हे जो हमेँ पसंद हैं
माना की वक्त कम हैं पर होंसला बुलंद हैं
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती