Hath THAND Mein Aur Dimag GHAMAND Mein
Kaam Nahi Karta

Rishteh naam seh nahi dil ki dorr seh jude hote hai
isi liye koi door reh kar bhi bahut kareeb hota hai

लोग सीने में क़ैद रखते हैं
हम ने सिर पे चढ़ा रखा है दिल को

जहर से खतरनाक है यह मोहब्बत
जरा सा कोई चख ले तो मर मर के जीता है

भगवान् को आज तक ढूंढता रहा, आज उसे पाया तो जाना
की खोया हुआ तो मैं था

जिंदगी अंधे भिखारी का कटोरा है
लोग खुशियाँ डालते कम उठाते ज्यादा है

आग लगाना मेरी फितरत में नही है
मेरी सादगी से लोग जले तो मेरा क्या कसूर

अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी
वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है

तेज़ आँधी में बदल जाते हैं सारे मंज़र
भूल जाते हैं परिन्दे भी ठिकाना अपना

रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा
की ये तेरीे आँखे मेरे एक झलक को तरसेंगी

उस मुल्क से भाईचारे की बात बेईमानी है
जहां चाँद और सूरज भी मजहब में बँटे हैं

हमारे तजूँबे हमें ये भी सबक सीखाता है
की जो मख्खन लगाता है वो ही चुना लगाता है

जिंदगी में बेशक हर मौके का जरुर फायदा उठाओ
मगर किसी के हालात और मजबूरी का नहीं

किरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता है
लोग इन्सान की पहचान उसकी अदाकारी से करते है

सिकंदर खुश नहीं लूट कर दौलत ज़माने की
लूटा कर सब कुछ अपना "फकीर" दिल पे राज करता है