गुलाम हुँ अपने घर के संस्कारो का
वरना मैं भी लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर रखता हुँ

आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब "रूह" निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग

शहर के तमाम इज्जतदारों ने करली खुदकुशी
उस बदनाम औरत ने आत्मकथा लिखने का जो फ़ैसला किया

ये जो छोटे होते है ना दुकानों पर होटलों पर और वर्कशॉप पर
दरअसल ये बच्चे अपने घर के बड़े होते है

अल्फ़ाज़ों का हुनर भी क्या खूब है
कड़वा बोलने वाले का शहद नहीं बिकता
और मीठा बोलने वाला ज़हर भी बेच देता है

Zindagi itni bhi sasti nahi banani chahiye ki
Koi do ghadi aakar khelkar chale jaye

Apne hone ka hum is tarah pata dete the...
Khaak mutthi me uthaate the, udaa dete the...Bishr...

ज़ख्म क्या दिखाऐ मैने अपने
लोगों ने नमक से मुठियाँ भर ली

वक्त नहीं भूख बताती है कि कब खाना है
गरीबों के घरों में ब्रेकफास्ट लंच डिनर का रिवाज़ नहीं होता

उदास रहता है मोहल्ले की बारिशों का पानी आजकल
सुना है कागज की नाव बनाने वाले बच्चे अब बड़े हो गये है

छू ना सकूं आसमान ना सही
दिल को छू जांउ बस इतनी सी तमन्ना है

कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी
बरसों रहा है दुश्मन दौर ए जमां हमारा

बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते

यदि सपने सच नहीं हो तो तरीके बदलो,
सिद्धान्त नहीं। पेड़ हमेशा पत्तियाँ बदलते हैं जड़ें नहीं.

जन्नत मैं सब कुछ हैं मगर मौत नहीं हैं
धार्मिक किताबों मैं सब कुछ हैं मगर झूट नहीं हैं
दुनिया मैं सब कुछ हैं लेकिन सुकून नहीं हैं
इंसान मैं सब कुछ हैं मगर सब्र नहीं है