कितने बेबस हैं तेरी चाहत में
तुझे खो कर भी अब तक तेरे हैं
कितने बेबस हैं तेरी चाहत में
तुझे खो कर भी अब तक तेरे हैं
ऐ काश हमें आपका दीदार न होता
मै पागल ना होता बेकार न होता
महोब्बत रहे या ना रहे
स्कुल की बेन्च पर तेरा नाम आज भी है
मुहब्बत के साए में आज़ाद रह कर
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है
दर्द लिखते रहे, आह भरते रहे
लोग पढते रहे, वाह वाह करते रहे
ज़ख्म क्या दिखाऐ मैने अपने
लोगों ने नमक से मुठियाँ भर ली
हर सजा कबूल की सर झूका के हमने
कसूर बस ये था की बेक़सूर थे हम
फिर हाज़िर हैं आपकी अंजुमन में
कोई नया दर्द हो तो ज़रूर देना
वो अजनबी फिर से ख़ास हो रहा है,
लगता है फिर से प्यार हो रहा है..!!
मै रोज खून का दिया जलाऊगां
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता
मैं तो हर पल खुसी देता हूँ तुम्हें
तुम ये गम लाते कहाँ से हो
कभी फूर्सत मे हिसाब करेगे
मेरी वफाऐ ज्यादा थी या तेरे सितम
रात बीत गई तेरी बाहो मे
मै ढुढता रहा तुझको अपनी बाहो में ...❗❗
मै मुहब्बत की रहो से अनजान हु
क्या करू क्या करू मै परेशान हु