किताबों मैं देखो सुनहरी है दिल्ली ,भरी रात में भी दोपहरी ही दिल्ली ,किसी की भी चीखों को सुनती नहीं है,बस इस मांमले में बहरी है दिल्ली,यहाँ बोलने की इज़ाज़त नहीं है,बड़े जालिमों की कचहेरी है दिल्ली |

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