कुछ नन्हे हाथों को आज हाथ छुडाते देखा हैउन कोमल हाथों पे छालों का एक गुलदस्ता देखा हैतपती कंकरीली धरती पे दिन भर रेंगते देखा हैखाने के चंद निवालों पे मैंने उनको पिटते देखा हैभूख मिटाने की खातिर यहाँ रूह नाचती देखी हैहर गाडी में झांकती उनकी आस टपकती देखी हैहंस कर जीने की आशा को आंसू में बहती देखी हैएक सिक्के के खातिर मैंने ज़िन्दगी भागती देखी है
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