निगाहों को कहो कि अपनी हद में रहे
इश्क को आदत है आवारा घूमने की
निगाहों को कहो कि अपनी हद में रहे
इश्क को आदत है आवारा घूमने की
दूर रहकर भी वो मेरे पास लगती है
रोज सपनों से आकर वो बात कराती है
नहीं मिलेगा कोई तुझे हम जैसा
जा इजाज़त है तुझे ज़माना आज़मा ले
हमे जब नींद आएगी तो इस कदर सोएंगे के लोग रोएंगे हमे जगाने के लिए…!!
कल ही तो तोबा की मैंने शराब से
कम्बक्त मौसम आज फिर बेईमान हो गया
आज नहीं तो कल तू मेरे प्यार को मानेगी
कि मै भी एक तेरा चाहने वाला
कुछ नही था मेरे पास खोने को
लेकिन जबसे तुम मिले हो डर गया हूँ मैं
तेरा इतना HURT करने के बावजूद में
तुजे क्यों भूल नहीं पाता बता मुझे
तू जाहिर है लफ्ज़ों में मेरे
मैं गुमनाम हुँ खामोशियों में तेरी
कहाँ से लाएं हर रोज़ एक नया दिल
तोड़ने वालों ने तो तमाशा बना रखा है.!!!
सारा बदन अजीब सी खुशबु से भर गया
शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया
जिंदगी से कोई दुश्मनी नही मेरी
एक ज़िद है की बस तेरे बिना नही जीना
तेरे वजूद में मै काश यूं उतर जाऊ
तू देखे आइना और मै, तुझे नज़र आऊ
ना पीने की हजार वजहे है मेरे पास ।
और पीने का सिर्फ एक बहाना हो तुम
जब आयने मे देखते है तब छोटी सी Smile आ जाती है
Bcz मुस्कुराने की वजा तुम हो