दुनिया तेरी रौनक़ से मैं अब ऊब रहा हूँ
तू चाँद मुझे कहती थी मैं डूब रहा हूँ

मुझे उस जगह से भी मोहब्बत हो जाती है
जहाँ बैठ कर मैं एक बार उसे सोच लेता हूँ

अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है.....
कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू...

ऐसा नहीं की अब तेरी जरूरत नहीं रही,
बस टूट के बिखरने की अब हिम्मत नहीं रही…

काश कि ये इश्क भी चुनावों की तरह होता
हारने के बाद दिल खोल कर बहस तो कर लेते

मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ.
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी.

एहसास बदल जाते हैं बस और कुछ नहीं,
वरना मोहब्बत और नफरत एक ही दिल से होती है.

सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना

कितने अनमोल होते हैं ये मुहब्बत के रिश्ते
कोई याद न भी करे तो भी चाहत रहती ह

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी...
मुनासिब होगा कि अब मेरा हिसाब कर दे...!!” Er kasz

खुल जाता है उनकी यादो का बाजार हर शाम
फिर अपनी रात उसी रौनक मेँ गुजर जाती है

आरज़ू होनी चाहिये किसी को याद करने की
लम्हें तो खुद-ब-खुद मिल जाया करते हैं!

तेज बारिश मेँ खड़ा रहा मैँ बस एक शब्द सुनने को
वो कह दे इधर आओ पागल भीग जाओगे

ये ना पूछ के शिकायतें कितनी हैं तुम से,
तू बता के तेरा कोई और सितम बाक़ी तो नही .

तुझको खबर नहीं मगर एक बात सुन ले..!!
बर्बाद कर दिया तेरे दौ दिन के प्यार ने !! 😌😌 Er kasz