बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना,
मोहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती....!!

उसके दिल पर भी कड़ी इश्क में गुज़री होगी
नाम जिसने भी मोहब्बत का सज़ा रखा है

काश तुझ पर भी लागू होता सूचना का अधिकार
ऐ मोहब्बत बहुत से जवाब चाहिए थे मुझे

नजर की लाज बच गई तुझे देखकर ऐ जानेजां
वरना मैं तो नाराज था बेवफाओं के जहान से

पढ़ तो लिए है मगर अब कैसे फेंक दूँ
खुशबू तुम्हारे हाथों की इन कागज़ों में जो है

राज़ खोल देते हैं नाज़ुक से इशारे अक्सर
कितनी खामोश मोहब्बत की ज़ुबान होती है. !!

नज़र -ए-बाद से बचना है तो कही और चले जा
मैं तुझे देखता हूँ तो पलके झपकती ही नहीं

अगर होता है इत्तेफाक़ तो यूँ क्यों नहीं होता
तुम रास्ता भूलो और मुझ तक चले आओ

खुदा ने सब्र करने की तौफ़ीक़ हमें बख्शी है
अरे जी भर के तड़पाओ शिकायत कौन करता है

क्यों ना सज़ा मिलती हमें मोहब्बत मैं
आखिर हम ने भी तो बहुत दिल तोड़े तेरी खातिर

हमेशा के लिए रखलो ना मुझे पास अपने
कोई पूछे तो बता देना के किरायेदार है दिल का

हमें भी आते है अंदाज़ दिल तोड़ने के
हर दिल में ख़ुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ मैं

मेरे अलावा किसी और को अपना महबूब बनाकर देख ले
तू भी कह उठेगी उसमे कुछ ओर बात थी

मुझे नही पता कि मेरी आंखो को तलाश किसकी है
तुझे देखता हूँ तो नजरे थम सी जाती है

हमें भी पता था की लोग बदल जाते है
ं मगर हमने कभी
तुमको लोगों में गिना ही नहीं....