मौसम की तरह से जो तुम ख़ुद को बदलोगेहम कैसे तुम्हारे होंगे तुम कैसे हमारे होगेतुम ऋतू हो बसन्त कि कोई, हम तो हैं पतझड़ सेअम्बर को छूते हो तुम, हम जिए हैं धरती पेकिस चीज़ में बेहतर हो, हर पल जो सोचोगेहम कैसे तुम्हारे होंगे तुम कैसे हमारे होगेकल हीर सा थे तुम कोई, और था मैं तुम्हारा राँझाआज हीर ने वादा तोड़ा, कल आया नहीं राँझाकिस्से जो सुनाते थे, गर क़िस्सा वो ख़ुद होगेहम कैसे तुम्हारे होंगे तुम कैसे हमारे होगेआकाश पे भी हम जाकर, तारों सा कहीं जो बैठेंतुम चाँदनी रात कोई हो, हम कैसे भला चमकेंहर बार निगाहों की, जो फ़र्क से देखोगेहम कैसे तुम्हारे होंगे तुम कैसे हमारे होगेमौसम की तरह से जो तुम ख़ुद को बदलोगेहम कैसे तुम्हारे होंगे तुम कैसे हमारे होगे

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