बारिशोँ को तो फिर भी धरती कीबाहोँ का सहारा मिल जाता है मगरउनका क्या जिनकी हर आस अधूरीरह जाये हर प्यास अधूरी रह जाये।
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बारिशोँ को तो फिर भी धरती कीबाहोँ का सहारा मिल जाता है मगरउनका क्या जिनकी हर आस अधूरीरह जाये हर प्यास अधूरी रह जाये।
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