कैसे भुला दूँ उसको मैं..
मौत इंसानों को आती है यादो को नहीं...

भरोसा जितना कीमती होता है...
धोखा उतना ही महंगा हो जाता है...Er kasz

शेरों को कहना नया शिकारी आया हैं
या तो हुकूमत छोड़ दे या जीना

अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया मुझे
प्यार चाहिए था तेरा एहसान नही

मैने अपने सारे ज़ख्म नोच डाले
सुना था ज़ख्मों में कही छिपे हैं वो

इतना दर्द तो मोत भी नहीं देती है
जितना तेरी ख़ामोशी ने दिया है…

तुम मुझे मोका तो दो साथ चलने का
थक जाओगी मेरी वफाओ क साथ चलते चलते

खफा नहीं हूँ तुझसे ए जिंदगी
बस जरा दिल लगा बैठा हूँ इन उदासियों से

गुनाह मुझे मेरे सामने गिनवा दो
बस जब कफ़न में छुप जाऊ तो बुरा न कहना

जिस घाव से खून नहीं निकलता
समज लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है

क़ाश कोई ऐसा हो जो गले लगा कर कहे
तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है

तुझको भूलूँ कोशिश करके देखूंगा
वैसे दरिया उल्टा बहना मुश्किल है

मुझे मेरी कल कि फिकर नही है,
पर ख्वाईश तो उसे पाने की जन्नत तक रहेगी....

अब सफ़र ज़िंदगी का ख़तम ही हुआ समझो
उसकी बातो से जुदाई की महक आती है

जहा हर बार अपनी बातो पर सफाई देनी पड़ जाए.
वो रिश्ते कभी गहरे नही होते ..!!