ये जो डूबी हैं मेरी आँखें अश्कों के दरिया में
ये मिट्टी के पुतलों पर भरोसे की सजा है

टूटी फूटी कश्ती और एक खुश्क समंदर देखा था
कल रात मैने झांक के शायद अपने अंदर देखा था !

जहर के असरदार होने से कुछ नही होता दोस्त।
खुदा भी राजी होना चाहिए मौत देने के लिये।।

गरूर तो नहीं करता लेकिन इतना यक़ीन ज़रूर है
कि अगर याद नहीं करोगे तो भुला भी नहीं सकोगे

बिछड़ के वो रोज मिलती है मुझ से ख्वाब में दोस्तों
अगर ये नींद ना होती तो में मर गया होता

खो जाआे मुझ में तो मालूम हो कि दर्द क्या है
ये वो किस्सा है दो ज़ुबान से बयां नहीं होता

बहुत शौक से उतरे थे इश्क के समुन्दर में
एक ही लहर ने ऐसा डुबोया कि आज तक किनारा ना मिला

फिर नहीं बस्ते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते हैं,
कब्रे जितनी भी सजा लो, कोई ज़िंदा नहीं होता .

ज़ुल्म इतने ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा..
मैंने ज़माने को तुझे अपना प्यार बता रखा है.

क्यों न सज़ा मिलती हमें मोहब्बत में आख़िर
हमने भी बहुत दिल तोड़े थे उस शख्स की ख़ातिर.....

मत पुछ शीशे से उसके टुट्ने की वजह.
क्योंकि उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समझा होगा!

पता नही ये बादल क्यूँ भटक रहे हैं फ़िज़ा में दर-बदर
शायद इनसे भी बात नहीं करता इनका अपना कोई

मै बैठूंगा जरूर महफ़िल में पर पीऊंगा नही
क्योंकि मेरा ग़म मिटा दे इतनी शराब की औकात नही
er kasz

मेरे हिस्से में न आयेगी कभी दिलदार की खुशिया
कुछ सख्स फकत शायरी करने के लिए ही पैदा होते है

ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है…