शिकायत तो नहीं कोई मगर अफ़सोस इतना है
मुहब्बत सामने थी और हम दुनिया में उलझे थे
शिकायत तो नहीं कोई मगर अफ़सोस इतना है
मुहब्बत सामने थी और हम दुनिया में उलझे थे
ढूंढते हो क्या इन आँखों में कहानी हमारी
खुद में ग़ुम रहना तो आदत है पुरानी हमारी
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया
तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे
गर इसी रफ़्तार से मानेंगे सब खुद को खुदा
एक दिन दुनिया में बन्दों की कमी हो जाएगी
कीसी रोज फुरसत मिले तो आना हमारी महफिल में
हम शायरी नहीं दर्दे ए इश्क सुनाते है
वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सकी
जाने क्यूँ मैंने उसके लिए अपनी जिंदगी बदल डाली
वो जो बन के दुश्मन मुझे जीतने को निकले थे
कर लेते अगर मोहब्बत मैं खुद ही हार जाता
बस इस एक पल की ख्वाईश में जिये जाते हैं हम
कि इसके बाद और कुछ नही चाहिये ज़िंदगी से
जी भर कर जुल्म कर लो......
क्या पता मेरे जैसा कोई बेजुबान तुम्हें फिर मिले ना मिल*::*""!! Er kasz
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है
मालुम था कुछ नही होगा हासिल लेकिन
वो इश्क ही क्या जिसमें खुद को ना गवायाँ जाए
er kasz
न कहा करो हर बार की हम छोङ देंगे तुमको
कयोंकि न हम इतने आम हैं न ये तेरे बस की बात है
छेड़कर जमानेभर की लड़कियों को रोया वो रातभर
जिस रोज घर उसके बिटिया ने जन्म लिया
बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने
अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर
मोहब्बत मे सर को झुका देना कोई मुश्किल नही
रोशन सूरज भी चाँद की खातिर डूब जाता है