इश्क करते है तुमसे इसलिए खामोश है अबतक,
खुदा न करे मेरे लब खुले और तुम बर्बाद हो जाओ.

मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो कि
वो धोखा दे कर भी सोचे के वापस जाऊ तो किस मुंह से जाऊ

मालूम नहीं क्यूँ मगर कभी कभी
अल्फाजों से ज्यादा मुझे तेरा नाम लिखना अच्छा लगता है

कभी हंसकर, कभी रोकर, न जाने कब वक्त गुजर गया,
लेकिन तेरी बेरुखी से, ये दिल तड़पकर रह गया

ये जरुरी नही कि, तुम मेरी हर बात को समझो...
बस इतनी सी तमन्ना है कि तुम मुझे, अपना समझो ...Er kasz

अभी तक ‪याद‬ कर रहे हैं ‪‎पागल‬ हैं हम कसम से
उसने तो हमारे बाद भी ‪हजारों‬ भुला दिए

बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में
दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़

मैनें ज़िन्दगी की गाड़ी से वो साइड ग्लास हटा दिया
जिसमे पीछे छूटे रास्ते नज़र आते हैं

इक आग का दरिया हैं मोजों की रवानी हैं
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं.. तेरी मेरी कहानी हैं
er kasz

मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना

ये जो डूबी हैं मेरी आँखें अश्कों के दरिया में
ये मिट्टी के पुतलों पर भरोसे की सजा है

इक पल ही काफ़ी है गर उसमें तुम शामिल हो जाओ
इससे ज्यादा जिंदगी की मुझे जरूरत भी नहीं

टकरा जाता हूँ अक्सर मैं तेरे साये से
तुम दिखते जब नही हो तो महसूस क्यों होते हो मुझे

उस्ताद ए इश्क सच कहा तूने बहुत नालायक हूँ मै
मुद्दत से इक शख्स को अपना बनाना नही आया

* बस एक यही बात उसकी मुझे अच्छी लगती है
उदास कर के भी कहती है
तुम नाराज़ तो नहीं हो ना