तू आज़मा के देख तो सही अपने दीवाने को
मैं दुनिया छोड़ दूंगा तुम्हे अपने करीब लाने के लिए

मोहब्बत तो पाक थी है और रहेगी
शर्मिंदा तो इसे खोखले रिवाज़ों और दोगले लोगों ने कर रखा है

मैं ना भी रहा तो मेरी रूह वफ़ा करेगी तुझसे
ये मत समझना कि तुम्हे चाहा था बस ज़िंदा रहने तक

किस गुनाह की दिलवर दे रहे हो मुझे सजा
दिल तोड़ के हमसे रूठ के बैठे हो क्यूं हो तुम मुझसे खफा

कुछ ऐसा अंदाज था उनकी हर अदा में,
के तस्वीर भी देखूँ उनकी तो खुशी तैर
जाती है चेहरे पे ..❗❗

मै बैठूंगा जरूर महफ़िल में पर पीऊंगा नही
क्योंकि मेरा ग़म मिटा दे इतनी शराब की औकात नही
er kasz

मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है
er kasz

दोस्तों का क्या है वो तो यों ही बन जाते है मुफ़्त में,
आओ चलो आज सच बोलकर कुछ दुश्मन बनाये ।Er kasz

मौहब्बत हो भी जाए तो कभी इज़हार मत करना
ये दुनियां सच्चे जज़्बातों की बड़ी तौहीन करती है

वाह वाह बोलने की ‪आदत‬ डाल लो दोस्तों
मै ‪मोहब्बत‬ में अपनी ‪‎बरबादियां‬ लिखने वाला हुं

सिलने उधड़ गई हैं जैसे यादें धूमिल हो जाती हैं
कुछ को जोड़ना हैं धागों से कुछ तो टूट जानी हैं

जिंदगी तो उसकी है जिसकी मौत पे जमाना अफसोस करे
वरना जनम तो हर किसी का मरने के लिए ही होता है

कोई मुझ से पूछ बैठा बदलना किस को कहते हैं
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ मौसम की या तेरी

अगर किसी दिन रोना आये,
तो कॉल करना,
हसाने की गारंटी नही देता हूँ,
पर तेरे साथ रोऊंगा जरुर

एक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा
क़रीब से गुज़रा हर शख़्श पूछता है कौन सा इत्र है जनाब
Er kasz