लपेट ली है मैंने तेरे अहसास की चादर
पता है मुझे आज फिर तेरी यादों की बारिश तेज़ है

नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे
कि यूँ खत को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती

कैसे गुजरती है हर शाम मेरी तेरे बिना
बस एक बार तू देख ले तो कभी तन्हा ना छोड़े मुझे

वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें;
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से.

मेरी लिखी किताब मेरे ही हाथो मे देकर वो कहने लगी
इसे पढा करो मोहब्बत सीख जाओगे
er kasz

कहा था ना साहब इस इश्क़ में बर्बाद हो जाओगे
मैं से हम हम से तुम और तुम से कौन हो जाओगे

दम तोड़ देती है माँ-बाप की ममता जब बच्चे कहते है
तुमने किया ही क्या है हमारे लिए
Er kasz

उस बेवफा ने मेरा ख़त बड़ी बेदर्दी से फाड़ा
मेरे शब्दों की हिचकियां मेरे दरवाजे तक आई

कैसे कह दूँ तुमसे हमें मोहब्बत नहीं
मुंह से निकला झूठ एक दिन आँखों से पकड़ा जायेगा

तेरी चाहत में तेरी मोहब्बत में तेरी जुदाई में
कोई हर रोज टूटता ह पर आवाज नहीं होती

मैं तुमसे अब दिल लगा तो बैठा हूं ......
अब ज़िन्दगी कट जाएगी मोहब्बत का इज़हार करने में !

साँसे चल रही हैं तो चल रहा हूँ मैं
वरना मेरी जिंदगी को रुके हुए तो ज़माने गुज़र गये

रातों को ख्वाबों में दिल में समा जाती हो तुम
सुबह होते ही फिर क्यों चली जाती हो तुम

तमन्ना थी दिल में कि तेरी शादी में जाऊं
और तेरी डोली उठने के बाद इस जहां से चला जाऊं

मेरे घर की दीवार पर लिखा है तेरा नाम
हम तुमसे प्यार करते-करते, जमाने में हो गए बदनाम