जो उनकी आँखों से बयां होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है

इतना दर्द तो मोत भी नहीं देती है
जितना तेरी ख़ामोशी ने दिया है…

जो तड़प तुझे किसी आईने में न मिल सके..
तो फिर आईने के जवाब में मुझे देखना.!

शीशा ए भ्रम टूट रहा है धीरे धीरे
एक शख्स रेत की तरह छूट रहा है धीरे धीरे

लगता है किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी
अगर इश्क़ हो तो कहना अब दिल यहाँ नही रहता

बहुत भीड़ है इस मोहब्बत के शहर मे
एक बार जो बिछडा वो दोबारा ही नही मिलता
G.R..s

इतना मगरूर मत बन मुझे वक्त कहते हैं
मैंने कई बादशाहो को दरबान बनाया हैं
er kasz

मुझे मालूम था के लौट के अकेले ही आना है
फिर भी तेरे साथ चार कदम चलना अच्छा लगा...!!!

मेरा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहते हैं
हमारी जिंदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो

मोहब्बत में कभी कुछ वादे किये थे तूने
आज टूटे हुए वादे भी तेरा रास्ता देखते हैं

वो जो बन के दुश्मन मुझे जीतने को निकले थे
कर लेते अगर मोहब्बत मैं खुद ही हार जाता

मरहम ना सही मेरे जख्मो पर नमक ही लगा दे..
यकिन मानो तेरे छुने से ये ठीक हो जायेंगें..

अबकी बार सुलह कर ले मुझसे ऐ दिल
वादा करते हे फिर न देंगे तुझे किसी जालिम के हाथ में

वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें;
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से.

जिन्दगी की उलझनों ने कम कर दी हमारी शरारते
और लोग समझते हैं कि हम समझदार हो गये
er kasz