अपना भाग्य स्वंय नियंत्रित करिए नहीं तो कोई और करने लगेगा।
अपना भाग्य स्वंय नियंत्रित करिए नहीं तो कोई और करने लगेगा।
सफलता वह है कि आप ज़मीन से टकराने के बाद कितना ऊँचा उछलते हैं।
इतने अच्छे बने कि आपकी उपेक्षा करने का किसी में साहस ही न हो।
हर जुर्म एक बीमारी की तरह है और इसके साथ ऐसे ही पेश आना चाहिए।
दो तरह से देखने में चीज़ें छोटी नज़र आती हैं; दूर से और गुरूर से।
सबसे बुद्धिमान व्यक्ति के लिए अभी भी कुछ सीखना बाकी होता है।
क्रोध करने का मतलब है दूसरों की गलतियों की सज़ा स्वयं को देना।
हम कई हारों का सामना करते हैं पर हमे कभी हार नहीं माननी चाहिए।
अगर आप किसी से कोई उम्मीद नहीं रखते तो आप कभी निराश नहीं होते।
दया और दोस्ती ऐसी दो भावनाएं हैं जो एक दूसरे के साथ अधूरे हैं।
अगर हम गिरते हैं तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं।
हुनर तो सबमें होता है किसी का छिप जाता है और किसी का छप जाता है।
इंसान को बदाम खाने से नहीं; जिंदगी में ठोकर खाने से अक्ल आती है!
जो अपने लिए नियम नहीं बनाता उसे दूसरों के नियम पर चलना पड़ता है।
अच्छे शब्दों के प्रयोग से बुरे लोगों का भी दिल जीता जा सकता है।