आँखों में चाहत दिल में कशिश है; ना जाने फिर क्यों मुलाकात में बंदिश है; मोहब्बत है हम दोनों को एक-दूसरे से; फिर भी दिलों में ना जाने यह रंजिश क्यों है।

जिनकी हसरत थी उनका प्यार ना मिला
जिनका बरसो इंतेज़ार किया उनका साथ ना मिला
अजीब खेल होते हे ये मोहब्बत के
किसी को हम ना मिले और कोई हमे ना मिला

बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी; दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी; ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे; करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।

फिर कहीं दूर से एक बार सदा दो मुझको; मेरी तन्हाई का एहसास दिला मुझको; तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या है; मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको।

मोहब्बत-मोहब्बत की बस इतनी कहानी है; इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है; इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है; कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है!

आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया; चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया; दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए; कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।

कितना चाहता हूँ तुझे यह मुझको पता नहीं; मगर तुम्हारे सिवा कोई और दिल में बसा नहीं; ज़माना दुश्मन हो गया चाहत का हमारी; जुदा हो गए फिर से यह मेरी खता नहीं।

तेरी हर अदा अब मोहब्बत सी लगती है; एक पल की जुदाई भी मुद्दत सी लगती है; पहले तो नहीं मगर अब सोचने लगे हैं हम कि; जिंदगी के हर लम्हे को तेरी ज़रूरत सी लगती है।

​मेरी गली से वो जब भी गुज़रता होगा​;​​मोड़ पे जा के कुछ देर ठहरता होगा​;​​भूल जाना मुझको इतना आसान तो न होगा​;​​दिल में कुछ तो टूट के उसके भी बिखरता होगा​।

सर्द रातों को सताती है जुदाई तेरी; आग बुझाती नहीं सीने में लगायी तेरी; तुम जो कहते थे बिछड़ कर मैं सुकून पा लूंगा; फिर क्यों रोती है मेरे दर पर तन्हाई तेरी।

ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले; तुझ सा नहीं मिला कोई लोग तो कम नहीं मिले; एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है; जिन को न सह सके ये दिल ऐसे तो गम नहीं मिले।

हर किसी के नसीब में सच्चा प्यार नहीं होता; सब किस्मत का खेल है किसी का कोई दोष नहीं होता; मेरे नसीब में सिर्फ तड़प जुदाई और नफरत ही बची है अब खुश रह नहीं होता।

तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया; तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया; सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को; इसलिए तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया।

मोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहीं; ये वो रिश्ता है जिस में सब कामयाब नहीं; जिन्हें साथ मिला उन्हें उँगलियों पर गिन लो; जिन्हें मिली जुदाई उनका कोई हिसाब नहीं।

कुछ पल में ज़िंदगी की तस्वीर बन जाती है; कुछ पल में ज़िंदगी की तक़दीर बदल जाती है; किसी को पा कर कभी खोना मत मेरे दोस्त; क्योंकि एक जुदाई से पूरी ज़िंदगी बिखर जाती है।