क्यों इंसान हँसता है रोने के बाद; जीना फिर भी पड़ता है सब कुछ खोने के बाद; सोचा आज सबको याद कर लूँ; क्या पता आँख ही ना खुले आज सोने के बाद। शुभ रात्रि!
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क्यों इंसान हँसता है रोने के बाद; जीना फिर भी पड़ता है सब कुछ खोने के बाद; सोचा आज सबको याद कर लूँ; क्या पता आँख ही ना खुले आज सोने के बाद। शुभ रात्रि!
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