चाँदनी रात में बरसात बुरी लगती है; घर में हो लाश तो बारात बुरी लगती है; ख़ुशी में मेरे दोस्त कुछ भी कह दो; लेकिन ग़म में तो हर बात बुरी लगती है। शुभ रात्रि!
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चाँदनी रात में बरसात बुरी लगती है; घर में हो लाश तो बारात बुरी लगती है; ख़ुशी में मेरे दोस्त कुछ भी कह दो; लेकिन ग़म में तो हर बात बुरी लगती है। शुभ रात्रि!
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