सांसे तो बस दिखाने के लिये लेते है
वरना जिंदगी तो हमारी तुम ही हो

ऐ ज़िँदगी अब तू ही रुठ जा मुझसे
ये रुठे हुए लोग मुझसे मनाए नहीँ जाते…

देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना
नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी

ना छोड़ना मेरा साथ ज़िन्दगी में कभी
शायद मैं ज़िंदा हूँ तेरे साथ की वजह से

यह सोच कर सब को याद कर के सोते है हम
पता नहीं ज़िन्दगी मैं कोनसी रात आखरी हो

सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम।
किसी ने समेटा भी तो सिर्फ जलाने के लिए।

आदत नहीँ हमें पीठ पीछे बोलने की,
दो शब्द कम बोलते हें, पर मुँह पे बोलते हैं..

कितना अजीब है ना उस शख्स को मनाना
जो हमसे रूठा भी न हो और बात भी ना
करता हो .

जब तक हम किसी के हमदर्द नही बनते तब तक
दर्द हम से ओर हम दर्द से जुदा नही होते

वो मुझे नहीं चाहती तो क्या हुआ
क्या इतनी सी बात पर मैं उसे चाहना छौङ दूँ
G.R..s

तेरी मोहब्बत से तो तेरी यादें अच्छी है
रूलाती तो है पर हमेशा साथ तो रहती है

तरस गए हैं तेरे लब से कुछ सुनने को हम,
प्यार की बात नही, चल कोई शिकायत ही कर दे |

अब क्या याद करने पर भी जुर्माना करोगे
वो भी चुका देंगे तो क्या बहाना करोगे ?

हम मतलबी नहीं की चाहने वालो को धोखा दे
बस हमें समझना हर किसी की बस की बात नही

नींद से क्या शिकवा जो आती नही रात भर,
कसुर तो उन सपनों का है जो सोने नही देते ।..