वो एक ख़त जो तूने कभी लिखा ही नहीं
मैं रोज़ बैठ के उसका ज़वाब लिखता हूँ..!

दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ !
और में एक सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।

ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत
अपना अपना फर्ज था दोनों अदा कर गये
G.R..s

किसने कहा हमें महफिलौं का शौंक नहीं …….एक चहेरे ने कमबख्त तन्हा कर दिया!

बस इतना सा असर होगा हमारी यादों का
कि कभी कभी तुम बिना बात मुस्कुराओगे

ऐ खुदा मुसीबत मैं डाल दे मुझे....
किसी ने बुरे वक़्त मैं आने का वादा किया है.

जहाँ हर बार अपनी बातो पर सफाई देनी पड़ जाए

वो रिश्ते कभी गहरे नही होते

रात कितनी वीरान सी हो जाती हैं....
जब कुछ अपने याद किये बिना ही सो जाते हैं..!

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत
जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे

जब तक हम किसी के हमदर्द नहीं बनते„
दर्द हमसे और हम दर्द से दूर नही होते।

मेरी मोहब्बत भी काले धन की तरह है
छुपा भी नहीं सकते और दिखा भी नहीं सकते

दुनिया बड़ी ही भूलकड़ है
वह तो उतना ही याद रखती है जितने से उसका मतलब हो

बेशक वो ख़ूबसूरत आज भी है
पर चेहरे पर वो मुस्कान नहीं जो हम लाया करते थे

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत
जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे

वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से
दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया