आज की रात मेरा दर्द मोहब्बत सुन ले; कप कपाते हुए होंठों की शिकायत सुन ले; आज इज़हारे ख़यालात का मौका दे दे; हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह!
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आज की रात मेरा दर्द मोहब्बत सुन ले; कप कपाते हुए होंठों की शिकायत सुन ले; आज इज़हारे ख़यालात का मौका दे दे; हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह!
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