उल्फ़त में कभी यह हाल होता है; आँखें हस्ती हैं मगर दिल रोता है; मानते हैं हम जिसे मंज़िल अपनी; हमसफ़र उसका कोई और होता है!
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उल्फ़त में कभी यह हाल होता है; आँखें हस्ती हैं मगर दिल रोता है; मानते हैं हम जिसे मंज़िल अपनी; हमसफ़र उसका कोई और होता है!
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