किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती है
जो नहीं मिलता उसी से मोहब्बत क्यों होती है
कितने खड़े है राहों में दिल की फिर भी
दिल को उसी की चाहत क्यों होती है
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किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती है
जो नहीं मिलता उसी से मोहब्बत क्यों होती है
कितने खड़े है राहों में दिल की फिर भी
दिल को उसी की चाहत क्यों होती है
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