जब भी होगी पहली बारीश.. ......तुमको सामने पाऐंगे....
वो बुँदो से भरा चहरा.. ......तुम्हारा हम कैसे देख पाऐंगे..
बहेंगी जब भी सर्द हवाऐं.. ......हम खुद को तनहा पाऐंगे...
ऐहसास तुम्हारे साथ का.. ......हम कैसे महसूस कर पाऐंगे..
इस दौडती हुई जिन्दगी में.. ......हम बिल्कुल ही रुक जाऐंगे..
थाम लो हमे थमने से पहले.. ......हम कैसे युँ जी पाऐंगे..
ले डूबेगा ये दर्द हमें ...

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