तरस गए आपके दिदार को
फिर भी दिल आप ही को याद करता है
हमसे खुश नसिब तो आपके घर का आईना है
जो हर रोज आपके हुस्न का दिदार करता है
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तरस गए आपके दिदार को
फिर भी दिल आप ही को याद करता है
हमसे खुश नसिब तो आपके घर का आईना है
जो हर रोज आपके हुस्न का दिदार करता है
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