तेरे हाथ की मैं वो लकीर बन जाऊं; सिर्फ मैं ही तेरा मुकद्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं; इतना चाहूँ मैं तुम्हें कि तू हर रिश्ता भूल जाये; और सिर्फ मैं ही तेरे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं।

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