दिल के जख्मों को दो हवा नहीं...
दिल मे सहने की अब जगा नही...
हाल उनका मै पूछ क्या करता...
आज खुद का ही जब पता नही...
खिलखिलाकर हमेसा मिलते थे...
भूली उनकी कोइ भी अदा नही....
भोली-भाली कोई थी एक मूरत...
क्या खबर थी उसमें वफा नहीं...
कैसे कह दूँ मै बेवफा उसको...
मुझसे जब उसने कुछ कहा नही...
प्यार करतें हैं बहुत हम उनसे...
प्यार करना कोई भी खता नही...
Like (1) Dislike (0)
Your Comment