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Bewafa Shayari
नज़रनज़र का फर्क है हुस्न का
नज़रनज़र का फर्क है हुस्न का
नज़र-नज़र का फर्क है, हुस्न का नहीं ;
महबूब जिसका भी हो बेमिसाल होता है !!
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मोह्हबत का सबसे कमज़ोर पहलु ये
वो खुद पर गरूर करते है
पटाने को हम भी पटा लें
एक आरज़ू थी तेरे साथ जिंदगी
उसे मैं दिल में रख लेता
कहते है इंसान की ख्वाहिशों की
तेरी नाराजगी वाजिब है दोस्तमैं भी
आज कल अपना लास्ट सीन तक
जज़्बात बहक जाते हैं जब तुमसे
तुम सो जाओ अपनी दुनिया में
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