बिन देखे मैं तुझसे प्यार कर बेठा बस यही गुनाह मैं एक बार कर बेठा
मिलना तो तुझसे मुकदर को मंजूर न था ये सब जानते हुए मैं मोहब्बत तुझसे बेसुमार कर बेठा
अगर मंजूर हुआ मुकदर को तो फूल फिर खिलेंगे बिछड़े हुए दो दिल फिर मिलेंगे
अगर मिल न पाये इस जनम में तो काया हुआ ये आशिक़ है फिर मिलेंगे किसी और जानम में

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