मेरी आँखों के समंदर में जलन कैसी है
आज फिर दिल को तडपने की लगन कैसी है
अब इस राह पे चिरागों की कतारे भी नहीं
अब तेरे शहर की गलियों मे घुटन कैसी है
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मेरी आँखों के समंदर में जलन कैसी है
आज फिर दिल को तडपने की लगन कैसी है
अब इस राह पे चिरागों की कतारे भी नहीं
अब तेरे शहर की गलियों मे घुटन कैसी है
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